लोगों की राय

उपन्यास >> दर्पण के सामने

दर्पण के सामने

कला प्रकाश

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16426
आईएसबीएन :9788126049929

Like this Hindi book 0

दर्पण के सामने साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित आरसी-अ-आडो उपन्यास का हिंदी अनुवाद है। इस उपन्यास का मुख्य पात्र डॉ. अनूप अग्रवाल एक ऐसा व्यक्ति है, जो स्वयं से रूबरू हुआ है। उसने अपने अंतःकरण में प्रवेश करके स्वयं को परखा है और अपना विश्लेषण किया है। अपनी कमज़ोरी को पकड़ा है और अपनी बुद्धि को पहचाना है। आपको ऐसे अनूप अग्रवाल अपने आस-पास भी मिलेंगे जो अपने मन से टकराने में विध्वस्त हो गए। उनकी बेचैन आत्माओं को यदि ठौर-ठिकाना मिला तो कारावासों में, मनोविश्लेषण-केंद्रों में, पागलखानों में। ऐसे भी अनूप अग्रवाल हैं जो अभी तक संघर्षरत हैं। अपने मन की गहराई में उनकी डुबकियाँ अभी जारी हैं, वे डूबे नहीं हैं और न सतह पर उभर सके हैं। जब उनके मन का अँधेरा दूर होगा और प्रकाश की किरणें फैलेंगी तब नई आशा, नई उम्मीद उनके जीवन को जगमगा देगी। यह उपन्यास अनूप अग्रवाल के वास्तविक जीवन पर आधारित है, जो संघर्षरत है, जिसके अंतःकरण में नए स्वप्न का सृजन अवश्यम्भावी है।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book